चाँद निकले किसी जानिब
चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शब-ऐ-तन्हाई का
[ जानिब = किसी दिशा में, कहीं तो निकले; ज़ेबाई = सुन्दरता ]
दौलत-ऐ-लब से फिर ऐ खुसरव-ऐ-शीरीं-दहाँ
आज रिज़ा हो कोई हर्फ़ शनासाई का
[ लब = होंठ; खुसरवी = शाही; शीरीं = मीठा; दहाँ = मुँह ]
[ रिज़ा = स्वीकृत; हर्फ़ = शब्द; शनासाई = मान्यता, जान-पहचान, परिचय ]
दीदा-ओ-दिल को संभालो की सर-ऐ-शाम "फिराक"
साज़-ओ-सामां बहम पहुँचा रुसवाई का
[दीदा-ओ-दिल = नज़र और दिल; बहम = एक साथ ]
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